रायपुर/बलौदाबाजार:
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट से निपटने हेतु शुरू किया गया “मोर गांव-मोर पानी” महाभियान अब एक सफल और प्रेरणादायी पहल बन चुका है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रारंभ किए गए इस अभियान का उद्देश्य गांवों में जल संरक्षण, पुनर्भरण और जल के सतत उपयोग को सुनिश्चित करना है।

बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में इस महाभियान के अंतर्गत विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। कलेक्टर दीपक सोनी के निर्देशानुसार, प्रत्येक अनुविभाग में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अध्यक्षता में समितियाँ गठित की गई हैं। विशेष रूप से सिमगा अनुविभाग में प्रशासन, उद्योग और ग्रामीणों के बीच त्रिस्तरीय समन्वय से उल्लेखनीय कार्य हुए हैं।

खनन प्रभावित क्षेत्रों में बेहतर जल प्रबंधन:
सिमगा क्षेत्र में खनन गतिविधियों से प्रभावित इलाकों में पारंपरिक जल स्रोतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था, जिससे भूजल स्तर में गिरावट और जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। एसडीएम सिमगा अंशुल वर्मा के नेतृत्व में समिति द्वारा क्षेत्रीय निरीक्षण कर समस्या की गंभीरता को समझा गया और समाधान के लिए कार्ययोजना बनाई गई।

उद्योगों की सकारात्मक भूमिका:
सीमेंट संयंत्रों ने सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • अल्ट्राटेक सीमेंट, रावन द्वारा ग्राम रावन और पेंड्री में पाइपलाइन के माध्यम से निस्तारी जल आपूर्ति सुनिश्चित की गई।

  • अल्ट्राटेक सीमेंट, हिरमी की माइंस में संचित जल को ग्राम सकलोर एवं परसवानी के तालाबों तक पाइपलाइन से पहुंचाया गया।

  • टैंकरों के माध्यम से जल आपूर्ति, नए बोरवेल की खुदाई और पुराने जल स्रोतों का जीर्णोद्धार भी किया गया।

  • खापराडीह संयंत्र ने ग्राम चंडी के बांध से पानी की निकासी के लिए दो किलोमीटर लंबी कैनाल का निर्माण ग्रामीणों की सहमति से किया।

पेयजल की स्थिति में सुधार:
ग्राम मटिया एवं शिकारी-केसली जैसे क्षेत्रों में जल टैंकरों के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया गया। साथ ही जल जीवन मिशन के तहत बनी टंकियों को नए जल स्रोतों से जोड़ा गया। गंगरेल बांध से जुड़ी नहरों में पानी छोड़कर निस्तारी तालाबों को भरा गया, जिससे ग्रामीणों की टैंकर पर निर्भरता कम हुई।

नतीजे:
इन प्रयासों से ग्रामीणों को अब मीलों दूर पानी लाने की आवश्यकता नहीं है। गांवों में पीने और निस्तारी जल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। “मोर गांव-मोर पानी” महाभियान प्रशासन, उद्योग और समुदाय के त्रिस्तरीय सहयोग का एक आदर्श उदाहरण बन गया है।