छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रहने वाली कोरबा की 19 वर्षीय मिशा सिंधु पिछले तीन वर्षों से राज्य को पारंपरिक मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू में लगातार पदक दिला रही हैं। मिशा मानती हैं कि अगर लड़कियों को उचित अवसर दिए जाएं, तो वे किसी भी क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकती हैं।

यूथाई और थाई बॉक्सिंग से कलारीपयट्टू तक का सफर

मिशा ने अपने खेल करियर की शुरुआत यूथाई और थाई बॉक्सिंग से की थी, लेकिन जब उन्हें कलारीपयट्टू के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने इसे ही अपनाने का निर्णय लिया। उनका मानना है कि यह खेल अभी भी बहुत से लोगों के लिए अनजान है और इसे लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। इस खेल के साथ-साथ मिशा दिल्ली से ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी कर रही हैं।

कोच से मिली प्रेरणा, खुद पर बढ़ा आत्मविश्वास

मिशा के मुताबिक उनके कोच कमलेश देवांगन ने उन्हें खेल की बारीकियां सिखाईं और उनके प्रशिक्षण के तरीके ने मिशा को इस खेल में रुचि लेने के लिए प्रेरित किया। वर्ष 2021 में दल्लीराजहरा में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में उन्होंने कलारीपयट्टू सीखा, फिर केरल जाकर गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया। पहली ही राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर शुरुआत की और फिर लगातार पदक जीतने का सिलसिला शुरू हो गया।

सीमित संसाधनों में भी बनाई सफलता की राह

मिशा बताती हैं कि उनके पिता ने पुराने और बेकार सामानों से उनके लिए खेल का जरूरी सामान तैयार किया। मिशा का कहना है कि अगर प्रतिभा हो और परिवार से समर्थन मिले, तो सफलता मिलना तय है।

2023 में गोवा में आयोजित नेशनल गेम्स में मिशा ने स्टिक फाइट प्रतियोगिता में एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। वहीं, वर्ष 2025 में आयोजित 38वें नेशनल गेम्स में उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन किया।

आत्मविश्वास से भरपूर खिलाड़ी

मिशा मानती हैं कि खेल न सिर्फ शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति को सशक्त बनाता है। खेल के माध्यम से आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में किसी भी चुनौती का सामना करने की ताकत मिलती है। उनका कहना है, “अब मुझे किसी से डर नहीं लगता।”