स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जा रहे युक्तियुक्तकरण (रैशनलाइजेशन) की प्रक्रिया और उसके मापदंडों में पाई जा रही विसंगतियों के विरोध में शिक्षक संगठनों ने 28 मई को मंत्रालय का घेराव करने की तैयारी कर ली है। इस आंदोलन का नेतृत्व विभिन्न शैक्षिक संगठन कर रहे हैं, जिन्होंने शिक्षा व्यवस्था की खामियों और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाया है।

युक्तियुक्तकरण की शर्तों पर ऐतराज, उद्देश्य पर नहीं

शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे का कहना है कि शिक्षक संगठनों को राज्य की एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना से आपत्ति नहीं है। विरोध केवल उन मापदंडों और नीतिगत खामियों को लेकर है जो शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को प्रभावित कर रही हैं। उनका मानना है कि यह प्रक्रिया न केवल विद्यार्थियों के समग्र विकास में बाधा बन रही है, बल्कि शिक्षकों के हितों के भी खिलाफ है।

प्रभारी प्राचार्यों के सहारे चल रही हैं स्कूलें

कार्यकारी प्रांताध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी और प्रदेश महासचिव धर्मेश शर्मा ने बताया कि राज्य में स्कूल शिक्षा विभाग की व्यवस्था बेहद खराब हो चुकी है। विभागाध्यक्ष के पद पर नियुक्त आईएएस अधिकारियों का कार्यकाल निश्चित नहीं होता, जिससे नेतृत्व में निरंतरता नहीं रहती।

संचालनालय में अपर संचालक, संयुक्त संचालक और उपसंचालक जैसे कई महत्वपूर्ण पद लंबे समय से खाली पड़े हैं या प्रभारी अधिकारियों के हवाले हैं, जो वर्षों से वहीं टिके हुए हैं। इसी प्रकार, राज्य के लगभग 80 प्रतिशत हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल भी प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे ही संचालित हो रहे हैं।

तदर्थवाद को बढ़ावा देने का आरोप

संघ का आरोप है कि शिक्षा विभाग खुद इस अस्थायी व्यवस्था को बनाए रखना चाहता है। यही वजह है कि पिछले 6-8 वर्षों में इन पदों पर कोई नियमित पदोन्नति नहीं की गई है। संगठन का कहना है कि अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों की भी युक्तियुक्तकरण के माध्यम से समीक्षा की जानी चाहिए।

इस आंदोलन के माध्यम से शिक्षक संगठन चाहते हैं कि स्कूल शिक्षा विभाग इन गंभीर मुद्दों पर ध्यान दे और शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार लाए।