रायपुर में दूध की कीमतों ने एक नया कीर्तिमान छू लिया है। अब दूध की कीमत 70 रुपए से बढ़कर 100 रुपए प्रति लीटर तक पहुँच गई है। डेयरी और कंपनी वाले अपनी मर्जी से कीमतें बढ़ा रहे हैं, और इस पर किसी भी सरकारी विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है।
फिलहाल, खाद्य विभाग और नाप-तौल विभाग के अधिकारी मानते हैं कि डेयरी और कंपनियाँ अपने उत्पादन लागत के आधार पर दूध की कीमतें तय करती हैं और इस पर प्रशासन का कोई कंट्रोल नहीं है। इस साल की शुरुआत में डेयरी वालों ने लगभग हर महीने 10 रुपए प्रति किलो लीटर के हिसाब से दूध की कीमतों में वृद्धि की है।
किसी भी डेयरी में एक जैसी कीमत नहीं:
शहर में विभिन्न डेयरी वालों द्वारा दूध की कीमतें एक समान नहीं हैं। कहीं पर 80 रुपए, कहीं 90 रुपए और कहीं 100 रुपए प्रति लीटर तक दूध बिक रहा है। इसके अलावा, मदर डेयरी, देवभोग और अमूल जैसी कंपनियों ने भी अपनी दूध की कीमतें बढ़ा दी हैं। इन बदलावों के कारण दूध के खरीदारों को अधिक कीमतों का सामना करना पड़ रहा है।
दूध में मिलावट की जांच की कोई व्यवस्था नहीं:
शहर में दूध की गुणवत्ता की जांच भी उचित तरीके से नहीं की जाती। खाद्य एवं औषधि विभाग कभी-कभी जांच करने के लिए मोबाइल वैन भेजता है, लेकिन यह जांच केवल कुछ महीने में एक बार होती है। इसके अलावा, नागरिकों को इस बारे में जागरूक नहीं किया जाता कि वे अपने घरों में दूध की जांच कैसे कर सकते हैं। इस कमी के कारण दूध में पानी मिलाने या मिलावट होने की समस्याएं आम हैं, लेकिन इन पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
पशु आहार की कीमत स्थिर, लेकिन दूध की कीमत बढ़ रही:
शहर में पशु आहार की कीमतों में उतनी तेजी से वृद्धि नहीं हो रही है, जितनी तेजी से दूध की कीमतें बढ़ी हैं। उदाहरण के लिए, मक्का पशु चारा की कीमत 25 से 150 रुपए प्रति किलो तक है, जबकि गेहूं का भूसा 20 रुपए प्रति किलो से शुरू होता है। यह दर्शाता है कि दूध की कीमत बढ़ने का कोई स्पष्ट कारण नहीं है, जबकि चारे की कीमत स्थिर रही है।
कंपनी वालों पर भी कोई नियंत्रण नहीं:
राजधानी में मदर डेयरी, देवभोग और अमूल जैसी कंपनियों का दूध पिछले साल के मुकाबले काफी महंगा हो गया है। इन कंपनियों ने अपने दूध के दाम 45-50 रुपए से बढ़ाकर 57-69 रुपए प्रति लीटर कर दिए हैं। हालांकि, दुकानदारों का कहना है कि दूध को फ्रिज में रखने के कारण बिजली का खर्च बढ़ता है, इसलिए वे एमआरपी से एक-दो रुपए अधिक लेते हैं।
विशेषज्ञों का दृष्टिकोण:
आरसी गुलाटी, रिटायर्ड जिला खाद्य नियंत्रक के अनुसार, दूध एक ऐसा उत्पाद है जिसका हर घर में उपयोग होता है, और ऐसे में शहरभर में दूध की कीमत एक समान होनी चाहिए। अगर डेयरी वाले और कंपनियाँ सहमति बनाएं, तो दूध की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है।
कलेक्टर की पहल:
रायपुर के कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह ने बताया कि सभी डेयरी संचालकों को एक बैठक में बुलाकर दूध की कीमतों को एक समान रखने का प्रयास किया जाएगा। इसके साथ ही, कंपनियों की कीमतों की भी जांच की जाएगी।