छत्तीसगढ़ में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है। बीते 9 वर्षों में राज्य में एमबीबीएस की सीटों की संख्या 700 से बढ़कर 2130 हो गई है। यह तीन गुना से अधिक की वृद्धि है, जिसका सीधा लाभ स्थानीय छात्रों को मिल रहा है। सीटों में वृद्धि के कारण कट-ऑफ कम हुआ है और छात्रों को बाहर के राज्यों में जाकर पढ़ाई करने की आवश्यकता भी कम हो गई है। आने वाले दो वर्षों में एमबीबीएस की 500 और सीटें बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

नीट यूजी परीक्षा 4 मई को आयोजित की जा चुकी है। 2016 में प्रदेश में सिर्फ 5 सरकारी और 1 निजी मेडिकल कॉलेज कार्यरत थे। रायपुर के नेहरू मेडिकल कॉलेज के अलावा बिलासपुर, रायगढ़, राजनांदगांव और जगदलपुर में सरकारी कॉलेज थे। वहीं दुर्ग में स्थित निजी मेडिकल कॉलेज अब अधिग्रहण के बाद सरकारी बन चुका है।

फिलहाल राज्य में कुल 15 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें से 10 सरकारी संस्थान हैं। सीटों की बढ़ोत्तरी से उन छात्रों को खास फायदा हुआ है जो नीट में अच्छा प्रदर्शन करते हैं और डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं। प्रदेश में एमबीबीएस की फीस भी अन्य राज्यों की तुलना में कम मानी जा रही है, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ भी कम हुआ है।

एनएमसी निरीक्षण से सीटों में और वृद्धि की उम्मीद

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए निरीक्षण शुरू कर दिया है। प्रदेश के चार निजी मेडिकल कॉलेजों ने 150 से 250 सीटों तक की वृद्धि का प्रस्ताव भेजा है। हालांकि, सरकारी कॉलेजों की ओर से अब तक कोई नया प्रस्ताव सामने नहीं आया है। नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में पहले से ही 230 सीटें मौजूद हैं, और वहां पर्याप्त फैकल्टी भी है, इसके बावजूद प्रबंधन ने सीट बढ़ाने के लिए आवेदन नहीं किया।

वहीं कुछ निजी कॉलेजों ने फैकल्टी की कमी के बावजूद, ऑनलाइन निरीक्षण के आधार पर सीट बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

गणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर ध्यान

राज्य सरकार और शिक्षा विभाग अब सिर्फ सीट बढ़ाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि क्वालिटी एजुकेशन पर भी जोर दे रहे हैं। प्रयास किया जा रहा है कि छात्र न केवल थ्योरी में, बल्कि प्रैक्टिकल ज्ञान में भी दक्ष बनें।

ईडब्ल्यूएस कोटे में वृद्धि

2016 में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग (EWS) के लिए कोई अलग सीटें नहीं थीं। बाद में केंद्र सरकार ने इस वर्ग के लिए 10% आरक्षण लागू किया। इसके तहत कॉलेजों में सीटों के अनुसार अतिरिक्त सीटें दी गईं। हालांकि दुर्ग मेडिकल कॉलेज को तय सीमा से अधिक 50 सीटें दे दी गईं, जिससे यह कॉलेज सीटों के मामले में प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा कॉलेज बन गया, भले ही वहां सुविधाएं अपेक्षित स्तर की नहीं हैं।

इस प्रकार छत्तीसगढ़ में मेडिकल एजुकेशन ने बीते कुछ वर्षों में न सिर्फ विस्तार किया है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा की दिशा में भी मजबूत कदम उठाए हैं।