कांकेर: तेंदुए ने बच्चे के गले को पकड़ा और उसे खींचकर ले जाने लगा, लेकिन बड़े भाई के साहसिक प्रयास ने बच्चे की जान बचाई।
कांकेर जिले के दुधावा क्षेत्र में एक आठ साल के बच्चे की जान बड़े भाई ने तेंदुए के हमले से बचाई। 26 अप्रैल 2025 को हुई इस घटना में बच्चा घर के आंगन में खेल रहा था, तभी तेंदुए ने अचानक हमला कर उसे गले से पकड़ लिया और खींचकर ले जाने लगा। लेकिन बच्चे के बड़े भाई ने साहस का परिचय दिया और जोर-जोर से चिल्लाते हुए बच्चे को तेंदुए से छुड़ाया। तेंदुआ डरकर भाग गया और बच्चा बच गया।
यह घटना उस बढ़ते खतरे को उजागर करती है, जो दुधावा क्षेत्र में तेंदुए के हमले के रूप में सामने आ रहा है। पिछले छह महीनों में इस इलाके में तेंदुए ने चार बच्चों को अपना शिकार बनाया है, जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई और एक बच्चा विकलांग हो गया। अब तक की सबसे हालिया घटना में 26 अप्रैल को एक और 8 वर्षीय बच्चे पर तेंदुए ने हमला किया था।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, दुधावा में भारतमाला सड़क परियोजना के तहत भारी विस्फोटक काम हो रहा है, जिसके कारण तेंदुए और अन्य जानवरों का आवास नष्ट हो रहा है और वे इंसानी बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। पहले तेंदुए केवल पालतू जानवरों को अपना शिकार बनाते थे, लेकिन अब मानवों पर हमले बढ़ने लगे हैं।
दुधावा क्षेत्र में तेंदुए के लगातार हमले हो रहे हैं। 4 अगस्त 2024 को तेंदुए ने कोड़मुड़ से एक बच्चे को उठा लिया था, जिसका सिर ही मिला। 25 सितंबर 2024 को दुधावा के नया पारा में एक बच्ची पर हमला हुआ और 2 अक्टूबर 2024 को एक अन्य बच्चे पर तेंदुए ने हमला कर दिया। एक पालतू कुत्ते ने बच्चे को छुड़ा लिया, लेकिन वह बच्चा अब तेंदुए के हमले से विकलांग हो गया है।
ग्रामीणों के अनुसार, तेंदुए के हमलों के कारण वे शाम होते ही अपने घरों के दरवाजे बंद कर देते हैं और बच्चे बाहर नहीं खेलने जाते। किसान भी डर के कारण खेतों में जाने से बच रहे हैं।
अधिकारियों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और तेंदुए को पकड़ने के लिए योजना बनाई है। रायपुर से एक विशेषज्ञों की टीम कांकेर पहुंच रही है, जो तेंदुए को ट्रैक करने और उसे जंगल में सुरक्षित रूप से छोड़ने की योजना बना रही है।
यह घटना और तेंदुए के हमलों की बढ़ती संख्या क्षेत्र के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है, और प्रशासन से उम्मीद की जा रही है कि वे त्वरित कदम उठाकर इस संकट का समाधान करेंगे।