भारतमाला परियोजना से जुड़े 48 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने जांच की रफ्तार बढ़ा दी है। पहले से जेल में बंद आरोपियों हरमीत सिंह खनूजा, केदार तिवारी, उनकी पत्नी उमा तिवारी और विजय जैन से पूछताछ के बाद अब ईओडब्ल्यू 14 और लोगों से पूछताछ की तैयारी कर रही है। इनमें जमीन दलाल, राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारी, छोटे अधिकारी और बिचौलियों की भूमिका संदेह के घेरे में है।

घोटाले की रकम बढ़ने की संभावना

EOW के अधिकारियों के मुताबिक, अब तक 48 करोड़ रुपये के घोटाले का अनुमान है, लेकिन जांच के दौरान मिले नए तथ्यों से यह राशि और बढ़ सकती है। साथ ही इसमें शामिल लोगों की संख्या भी बढ़ेगी, इसलिए जांच का दायरा और अधिक विस्तारित किया जा रहा है।

जमीन की खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी और साक्ष्य छिपाने की कोशिश

जांच में सामने आया है कि जैसे ही परियोजना के लिए चिन्हित जमीन की जानकारी लीक हुई, जमीन दलाल और बिल्डर सक्रिय हो गए। उन्होंने किसानों से कम दाम पर जमीन खरीदी और तेजी से रजिस्ट्री कराने का आश्वासन दिया।

इसके बाद, कुछ मामलों में जमीन का काम शुरू होते ही उसे अपने नाम करवाकर राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से खुद ही मुआवजा भी हासिल कर लिया गया। कई साक्ष्यों को मिटाने या छुपाने की भी कोशिश की गई, जिसकी पड़ताल जारी है।