छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की 2006 में हुई मृत्यु के मामले में नया मोड़ आया है। अपोलो हॉस्पिटल में हार्ट ट्रीटमेंट के दौरान हुई उनकी मौत की जांच अब गंभीरता से की जा रही है। इस जांच की वजह है उस समय इलाज करने वाले डॉक्टर नरेंद्र विक्रम यादव की डिग्री फर्जी साबित होना।
डॉ. नरेंद्र को हाल ही में मध्यप्रदेश के दमोह में फर्जी डिग्री के आधार पर इलाज करते हुए पकड़ा गया था, जहां उनके इलाज से सात लोगों की जान चली गई थी। इस खुलासे के बाद स्व. शुक्ल के बेटे डॉ. प्रदीप शुक्ला ने सरकंडा थाने में शिकायत दर्ज कराई और सीएमएचओ से इसकी विस्तृत जांच की मांग की।
स्वास्थ्य विभाग की तीन सदस्यीय टीम—जिसमें वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बीएल बंसल, सिम्स के डॉ. नवनीत अग्रहरि और नोडल अधिकारी डॉ. विजय मिश्रा शामिल हैं—इस केस की जांच कर रही है। टीम को 10 मई तक रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
अपोलो हॉस्पिटल से आरोपी डॉक्टर के बायोडाटा, डिग्री और इलाज से संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे। टीम ने एंजियोप्लास्टी और एंजियोग्राफी की वीडियो सीडी भी मांगी, लेकिन अस्पताल ने यह कहकर इनकार कर दिया कि उस समय कोई सीडी रिकॉर्ड नहीं की गई थी।
अब जांच दस्तावेजों के आधार पर ही आगे बढ़ रही है। रिपोर्ट तैयार होने के बाद उसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) को भेजा जाएगा, जहां आगे की कार्रवाई और वेरीफिकेशन की प्रक्रिया तय होगी।
– डॉ. प्रमोद तिवारी, सीएमएचओ ने पुष्टि की कि रिपोर्ट तय समय पर सौंप दी जाएगी।