शनिवार देर रात करीब 3 बजे जिला अस्पताल के रिकॉर्ड रूम में आग लगने से हड़कंप मच गया। रात में जब मरीज और उनके परिजन सो रहे थे, तभी अचानक ऊपरी वार्ड में धुआं फैल गया। एक मरीज के परिजन ने जब देखा तो सिविल सर्जन कक्ष के पास कमरा नंबर 4 में आग लगी हुई थी।
आग की खबर मिलते ही पूरे अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। सभी वार्डों से मरीजों और उनके परिजनों को बाहर निकाला गया, जिनमें कई गंभीर मरीज भी शामिल थे। गार्ड ने तुरंत अस्पताल प्रबंधन और पुलिस को सूचना दी। दमकल और पुलिस की टीम ने अस्पताल के पीछे से शटर तोड़कर आग पर कड़ी मशक्कत के बाद काबू पाया। लेकिन तब तक रिकॉर्ड रूम में रखा करोड़ों का दस्तावेज जलकर राख हो चुका था। इसमें जननी सुरक्षा योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जुड़े अहम दस्तावेज भी शामिल थे।
आग की वजह पर सवाल
चौंकाने वाली बात यह है कि आग सिर्फ रिकॉर्ड रूम में ही लगी और बाकी हिस्सों में कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अस्पताल के इलेक्ट्रिशियन का कहना है कि हाल ही में अस्पताल की वायरिंग पूरी तरह बदली गई थी और सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद थी। न तो बिजली गुल हुई और न ही कोई फ्यूज उड़ा, जिससे साफ होता है कि यह शॉर्ट सर्किट नहीं था।
इस घटना में अस्पताल प्रबंधन की भूमिका पर संदेह जताया जा रहा है। प्रबंधन के खिलाफ पहले भी फर्जीवाड़े की कई शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, और माना जा रहा है कि सबूत मिटाने के लिए यह आग जानबूझकर लगाई गई हो सकती है।
अग्निशमन व्यवस्था फेल
यह भी सामने आया है कि अस्पताल में लगे अग्निशमन यंत्र मार्च 2025 में एक्सपायर हो चुके थे। हाल ही में स्टाफ को आग बुझाने का प्रशिक्षण दिया गया था, लेकिन आग बुझाने में कोई यंत्र इस्तेमाल नहीं हो सका और दमकल की मदद से ही आग पर काबू पाया गया।
पुलिस जांच जारी
थाना प्रभारी प्रवीण द्विवेदी ने बताया कि आग की वजह शुरू में शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है, लेकिन असली कारण जांच के बाद ही सामने आएगा।