छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में 10,463 सरकारी स्कूलों का युक्तियुक्तकरण (रैशनलाइजेशन) किया है, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार और संसाधनों का बेहतर उपयोग है। हालांकि, इस निर्णय से शिक्षकों में असंतोष व्याप्त है, क्योंकि इससे लगभग 43,000 शिक्षकों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। शिक्षक संघों का कहना है कि इस नीति से सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता प्रभावित होगी और शिक्षकों पर कार्यभार बढ़ेगा।

शिक्षकों के अनुसार, कई स्कूलों में पहले से ही एक या कोई शिक्षक नहीं है, और इस नीति से स्थिति और बिगड़ सकती है। राज्य में वर्तमान में छात्र-शिक्षक अनुपात 22 से 26 के बीच है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार स्वीकार्य है। हालांकि, शिक्षकों को आशंका है कि युक्तियुक्तकरण से यह संतुलन बिगड़ सकता है।

शिक्षक संघों ने सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम दिया है और चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे 31 मई से संभाग स्तर पर धरना प्रदर्शन शुरू करेंगे। इस आंदोलन में 23 शिक्षक संगठनों ने भाग लेने की घोषणा की है।

सरकार का कहना है कि यह कदम शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और संसाधनों के समान वितरण के लिए आवश्यक है। हालांकि, शिक्षकों का मानना है कि यह नीति शिक्षकों की संख्या में कटौती और सरकारी स्कूलों को कमजोर करने की दिशा में उठाया गया कदम है।

इस मुद्दे पर सरकार और शिक्षकों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है, और आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज हो सकता है।

मर्ज होने वाले स्कूलों की संख्या

जिला – स्कूल
बिलासपुर – 431
मुंगेली – 337
कोरबा – 469
जांजगीर-चांपा – 366
रायगढ़ – 557
सक्ती – 342
सारंगढ़-बिलाईगढ़ – 378
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही – 205