छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने एक साल के कार्यकाल में बस्तर क्षेत्र में लगातार सक्रियता दिखाते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। साय ने अब तक प्रदेश के किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री की तुलना में सबसे अधिक बार बस्तर दौरा किया है। उन्होंने केवल एक साल में ही 33 बार बस्तर पहुंचकर वहां की जनता से सीधा संवाद स्थापित किया है, जो न केवल उनके जनसंपर्क की गहराई को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्रीय विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है।
मुख्यमंत्री के कुछ प्रमुख बस्तर दौरे:
6 जनवरी 2024, जगदलपुर: क्रांतिकारी वीर डेबरीधुर की प्रतिमा और शिलालेख का अनावरण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
3 फरवरी 2024, नारायणपुर: कुहारपारा स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम परिसर में किसान मेले में भाग लिया और 108 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का लोकार्पण व भूमिपूजन किया।
5 मार्च 2024, चित्रकोट: चित्रकोट महोत्सव में शिरकत कर स्थानीय विकास की कई घोषणाएं कीं, जिनमें तीरथगढ़ महोत्सव के लिए 5 लाख रुपये की घोषणा भी शामिल है।
1 अगस्त 2024, जगदलपुर: “एक पेड़ मां के नाम” वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत की।
4 अक्टूबर 2024, बीजापुर: नक्सल पीड़ित परिवारों को शासकीय नियुक्ति और तेंदूपत्ता बोनस वितरण कार्यक्रम में भागीदारी।
15 अक्टूबर 2024, जगदलपुर: बस्तर दशहरा के मुरिया दरबार को संबोधित किया और करीब 3 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण किया।
18 नवंबर 2024: बस्तर क्षेत्रीय पर्यटन विकास हेतु रणनीति तय करने वाली बैठक में शामिल हुए।
19 नवंबर 2024: सीआरपीएफ सेडवा कैंप में जवानों को संबोधित किया।
15-16 दिसंबर 2024: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बस्तर व बीजापुर में माओवाद प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर आत्मसमर्पण कर चुके लोगों से संवाद किया।
2 जनवरी 2025, जगदलपुर: गायत्री महाविद्यालय के भूमिपूजन समारोह में शामिल होकर 50 लाख रुपये देने की घोषणा की।
7 अप्रैल 2025, कांकेर: गोंडवाना समाज के मरका पंडुम पर्व में शामिल होकर सांस्कृतिक एकता को बल दिया।
15 अप्रैल 2025: प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत “मोर दुआर – साय सरकार” महाभियान की शुरुआत की।
15 मई 2025, गलगम (बीजापुर): नक्सल प्रभावित क्षेत्र में जाकर ग्रामीणों और सुरक्षा बलों से नक्सल उन्मूलन को लेकर चर्चा की।
मुख्यमंत्री साय की इन यात्राओं ने न केवल बस्तर के विकास को नई दिशा दी है, बल्कि शासन और जनता के बीच संवाद की नई मिसाल भी पेश की है।