रायपुर, 6 मई:
छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले की तर्ज पर झारखंड में भी हुए एक बड़े शराब घोटाले की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) करेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) द्वारा दर्ज 450 करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है।
ईओडब्ल्यू को झारखंड सरकार से जांच में अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के चलते यह निर्णय लिया गया। माना जा रहा है कि सीबीआई जल्द ही इस मामले में जांच शुरू करेगी, क्योंकि इसमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
छत्तीसगढ़ की एफआईआर ने किया घोटाले का खुलासा
7 सितंबर 2024 को छत्तीसगढ़ एसीबी-ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज एफआईआर से यह घोटाला सामने आया। एफआईआर में झारखंड के तत्कालीन आबकारी सचिव आईएएस विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह के नाम शामिल हैं। इनके अलावा छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के चर्चित चेहरे अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी का नाम भी सामने आया है।
एफआईआर में आरोप है कि इन अधिकारियों और शराब सिंडिकेट ने मिलकर झारखंड की आबकारी नीति में बदलाव किया और टेंडर प्रक्रिया को अपने पक्ष में मोड़ा। देशी शराब की बिक्री में नकली होलोग्राम का उपयोग हुआ और विदेशी शराब के लिए नियमों में बदलाव कर नजदीकी एजेंसियों को लाइसेंस दिए गए। इसके बदले करोड़ों रुपये की अवैध कमाई हुई।
झारखंड में लागू हुआ छत्तीसगढ़ मॉडल
झारखंड में शराब नीति लागू करने से पहले जनवरी 2022 में रायपुर में अधिकारियों और सिंडिकेट के सदस्यों के बीच बैठक हुई थी। इसी मीटिंग में पूरी योजना बनाई गई। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी सचिव अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड सरकार ने सलाहकार नियुक्त किया था। उन्होंने छत्तीसगढ़ मॉडल को झारखंड में लागू कराने में मुख्य भूमिका निभाई और इसके बदले ₹1.25 करोड़ की फीस भी ली।
नई नीति के तहत 2022-23 में झारखंड में शराब बिक्री का नियंत्रण सरकार से हटाकर निजी एजेंसियों को सौंपा गया। इसके बाद झारखंड के उत्पाद शुल्क राजस्व में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिसे लेकर कारोबारी विकास सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी।
घोटाले में शामिल अन्य नाम
घोटाले में शामिल नामों में अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, सिद्धार्थ सिंघानिया, विधु गुप्ता, और उनके अन्य सहयोगियों के नाम प्रमुख हैं। होलोग्राम सप्लाई का जिम्मा मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी एंड सिक्योरिटी फिल्म्स को दिया गया, जिसने काम आगे दूसरी कंपनी को सौंप दिया।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इस पूरे सिंडिकेट ने सरकारी व्यवस्था का दुरुपयोग कर करोड़ों की अवैध कमाई की और दोनों राज्यों — झारखंड और छत्तीसगढ़ — को राजस्व का नुकसान पहुंचाया।
इस पूरे मामले की जांच अब सीबीआई द्वारा की जाएगी, और जल्द ही कई बड़े अधिकारियों और कारोबारियों से पूछताछ की संभावना है।