बिलासपुर। जिले में संचालित युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। शिक्षकों ने जिला प्रशासन पर पदस्थापन में मनमानी करने और नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाया है। कई मामलों में शिक्षकों को एक स्कूल में पदस्थ किया गया है, जबकि उनका वेतन दूसरे स्कूल से दिया जा रहा है।
प्रमुख आरोप:
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पारदर्शिता की कमी: काउंसलिंग से पहले रिक्त पदों की सूची साझा नहीं की गई
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विषय बंधन की अनदेखी: विज्ञान शिक्षकों को कला विषय की सूची में डाला गया
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असंगत पदस्थापन: कम छात्र संख्या वाले स्कूलों में अधिक रिक्त पद दिखाए गए
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रातोंरात सूची में बदलाव: चहेतों के नाम हटाकर नए नाम जोड़े गए
शिक्षकों की आपत्तियाँ:
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150 से अधिक शिक्षकों ने सूची पर आपत्ति दर्ज कराई
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50 शिक्षकों ने लिखित असहमति देकर प्रक्रिया का बहिष्कार किया
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सेवानिवृत्ति के करीब 19 शिक्षकों को भी अतिशेष घोषित किया गया
प्रशासन का पक्ष:
जिला प्रशासन ने प्रक्रिया को पारदर्शी बताते हुए कहा कि:
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काउंसलिंग स्थल पर प्रोजेक्टर के माध्यम से जानकारी प्रदर्शित की गई
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शिक्षकों को स्कूल चयन के तुरंत बाद पोस्टिंग ऑर्डर दिया गया
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3 दिन के भीतर नए पदस्थापन स्थल पर ज्वाइन करने का निर्देश दिया गया
विरोध की तैयारी:
शिक्षक साझा मंच के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने बताया:
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“प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएँ की गई हैं”
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“शिक्षकों से चर्चा के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी”
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“विषय बंधन समाप्त करने के नियमों को नजरअंदाज किया गया”
युक्तियुक्तकरण क्या है?
युक्तियुक्तकरण (रेशनेलाइजेशन) एक प्रशासनिक प्रक्रिया है जिसमें:
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संसाधनों का कुशल आवंटन किया जाता है
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अतिशेष कर्मचारियों का पुनर्वितरण होता है
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संस्थानों/विभागों का समेकन किया जाता है
इस मामले में शिक्षकों का आरोप है कि प्रक्रिया का उपयोग पसंदीदा शिक्षकों को शहरी स्कूलों में पदस्थापित करने के लिए किया गया है, जबकि योग्य शिक्षकों को दूरस्थ क्षेत्रों में भेज दिया गया है। जिला प्रशासन ने इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए जाँच का आश्वासन दिया है।