छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के धनोरा इलाके में भारतमाला परियोजना के तहत सड़क निर्माण को लेकर गुरुवार को बड़ा विवाद हो गया। मुआवजे को लेकर नाराज भू-स्वामी निर्माण कार्य का विरोध करने पहुंचे थे, इसी दौरान एक हाईवा चालक ने प्रदर्शनकारियों के पास मुरुम गिरा दी, जिससे एक किसान घुटनों तक मलबे में दब गया। पुलिस ने तत्काल उसे बाहर निकाला।
प्रशासन ने स्थिति संभालने की कोशिश की, लेकिन जब समझाइश से बात नहीं बनी, तो पुलिस ने 17 किसानों को हिरासत में लेकर उन्हें जेल परिसर ले जाया, जहां पूरे दिन बैठाए रखने के बाद शाम को सभी को बिना शर्त रिहा कर दिया गया।
यह विवाद लंबे समय से अधिग्रहण की प्रक्रिया में गड़बड़ियों को लेकर चल रहा है। किसानों का आरोप है कि मुआवजे की गणना स्क्वेयर फीट की जगह स्क्वेयर मीटर में की गई, जिससे उन्हें दस गुना तक का नुकसान हो रहा है। इसी वजह से कई भू-स्वामियों ने मुआवजा लेने से भी इनकार कर दिया है।
घटना के दिन जब निर्माण कार्य फिर से शुरू करने की कोशिश हुई, तो बड़ी संख्या में भू-स्वामी मौके पर पहुंचकर काम रुकवाने लगे। यह तीसरी बार था जब किसानों ने सड़क निर्माण का विरोध किया। इससे पहले सितंबर और जनवरी में भी इसी तरह से काम रोका गया था।
प्रशासन की ओर से पहुंचे तहसीलदार और नायब तहसीलदार ने किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन विरोध जारी रहा। इसके बाद पुलिस ने 17 किसानों को गिरफ्तार किया। इनमें महेंद्र चोपड़ा, शिवकुमार चंद्राकर, बालमुकुंद तिवारी, चंद्रकांत साहू सहित अन्य शामिल थे।
प्रभावित किसान महेंद्र चोपड़ा ने कहा, “हम सड़क निर्माण के विरोध में नहीं हैं, हमारी मांग है कि पहले मुआवजे के विवाद को सुलझाया जाए। लेकिन हमारे विरोध के दौरान पुलिस ने जबरन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराने की कोशिश की।”
वहीं, एसडीएम हरवंश सिंह मिरी ने कहा, “जिन जमीनों का अवार्ड पारित हो चुका है, उनका कब्जा दिलाने की कार्रवाई हो रही है। किसी पर मुरुम गिराने की शिकायत नहीं मिली है। सभी को रिहा कर दिया गया है।”
यह घटना भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवादों की गंभीरता और प्रशासन की चुनौतियों को उजागर करती है।