छत्तीसगढ़ के बीजापुर समेत पूरे बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों की रणनीति में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। आमने-सामने की लड़ाई में कमजोर पड़ चुके नक्सली अब IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) का सहारा ले रहे हैं। बीते चार महीनों में IED ब्लास्ट की वजह से 9 जवान शहीद हो चुके हैं, जबकि दर्जनों घायल हुए हैं।
हाल ही में बीजापुर जिले के मोरमेड के जंगल में सड़क निर्माण की सुरक्षा में तैनात CAF की 19वीं बटालियन के जवान मनोज पुजारी IED ब्लास्ट में शहीद हो गए। यह धमाका तोयनार से लगभग 4 किमी दूर हुआ। इससे पहले 6 जनवरी को अंबेली में हुए IED विस्फोट में DRG के 8 जवानों ने अपनी जान गंवा दी थी
बस्तर में नक्सलियों ने मुख्य सड़कों से लेकर जंगलों तक IED प्लांट कर रखे हैं। वे ग्रामीणों को पर्चे जारी कर जंगल की ओर न जाने की चेतावनी दे रहे हैं। चिंता की बात यह है कि फोर्स के पास IED डिटेक्ट करने के लिए आधुनिक तकनीक की कमी है। चार फीट से अधिक गहराई में लगे IED को मौजूदा संसाधन नहीं पकड़ पा रहे हैं।
सिर्फ फोर्स ही नहीं, वनोपज संग्रहण के लिए जंगल जाने वाले ग्रामीण भी इन धमाकों के शिकार बन रहे हैं। बीते छह महीनों में 14 ग्रामीण IED की चपेट में आए, जिनमें से 4 की मौत हो गई। सबसे अधिक घटनाएं बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा जिलों में दर्ज की गई हैं।
बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव के अनुसार, ताजा घटना के बाद से इलाके में सघन सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। मौजूदा हालात में बस्तर में नक्सलियों से निपटने के लिए IED डिटेक्शन के हाईटेक संसाधनों की सख्त जरूरत है।