छत्तीसगढ़ के आंबेडकर अस्पताल में मरीजों को दिया गया प्रोटामिन सल्फेट इंजेक्शन असरदार साबित नहीं हुआ। यह इंजेक्शन खून को सामान्य करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन मरीजों पर इसका अपेक्षित असर नहीं हुआ। सामान्यतः यह इंजेक्शन 1 से 2 मिनट में असर करता है, मगर इसमें 20 से 25 मिनट लग रहे हैं। यह इंजेक्शन वाइटल हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, नासिक द्वारा निर्मित है, जिसका बैच नंबर V24133 है और मैन्युफैक्चरिंग डेट जून 2024 तथा एक्सपायरी मई 2026 है।

सिर्फ यही नहीं, हाल ही में डिवाइन कंपनी वडोदरा द्वारा बनाया गया हिपेरिन इंजेक्शन भी अमानक पाया गया है, जिस पर कार्रवाई करते हुए संबंधित रेट कांट्रैक्ट को रद्द कर दिया गया है।

दूसरी ओर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में निर्मित तीन आम दवाएं—डायबिटीज, बुखार और इन्फेक्शन के इलाज में उपयोग की जाने वाली—सब स्टैंडर्ड निकली हैं।

विल्डमेड टैबलेट – वृंदावन ग्लोबल कंपनी, सोलन (बैच नं VGT 242068A)

रिफलीवे एम टैबलेट – आई हील फार्मास्यूटिकल्स, बद्दी (बैच नं HG 24080598)

डोंलोकैर डीएस सस्पेंशन – क्विक्सोटिक फार्मा, मोहाली (बैच नं DCN-002)

इन दवाओं के सैंपल विभिन्न मेडिकल स्टोर्स से एकत्रित कर कालीबाड़ी स्थित राज्य स्तरीय ड्रग लैब में जांच के लिए भेजे गए थे। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, सक्ती, राजनांदगांव, कोंडागांव और सूरजपुर सहित कई जिलों से कुल 34 दवाओं के सैंपल लिए गए।

विशेषज्ञों के अनुसार, इन अमानक दवाओं में सक्रिय तत्वों की मात्रा निर्धारित मानकों से कम पाई गई है, जिससे मरीजों की हालत सुधरने के बजाय और बिगड़ सकती है।

फूड एंड ड्रग विभाग का कहना है कि यदि नियमित रूप से सैंपलिंग की जाए तो घटिया दवाओं से आम लोगों को बचाया जा सकता है। विभाग संबंधित कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है।

सावधानी जरूरी:

दवा खरीदते समय एक्सपायरी डेट जरूर देखें।

भरोसेमंद मेडिकल स्टोर से ही दवाएं लें।

नामी ब्रांड की दवाओं को प्राथमिकता दें।

यह मामला यह सोचने पर मजबूर करता है कि खुले बाजार में मिलने वाली दवाओं की गुणवत्ता पर कितना भरोसा किया जा सकता है। मरीजों की जान से जुड़ा यह मसला सरकार और संबंधित एजेंसियों के लिए बड़ी जिम्मेदारी है।