बलौदाबाजार, पलारी। आधुनिकता के इस दौर में जहां शादियां महंगी कारों और बैंड-बाजों के शोर-शराबे के साथ होती हैं, वहीं बलौदाबाजार जिले के ग्राम भवानीपुर में एक अनूठी मिसाल पेश की गई। यहां बुधवार को एक ऐसी बारात निकली जिसने न केवल लोगों को अचरज में डाल दिया, बल्कि दिल को भी छू गया।
गांव के फत्ते साहू के पुत्र उत्तम साहू ने अपनी शादी में न घोड़ा गाड़ी का सहारा लिया, न ही किसी महंगी कार का। बल्कि उन्होंने अपनी दुल्हन रमा साहू को लेने के लिए पारंपरिक बैलगाड़ी का चयन किया। उनका यह फैसला केवल एक साधारण चयन नहीं, बल्कि उनके स्वर्गीय दादा घासू राम साहू की अंतिम इच्छा को सम्मान देने का एक भावनात्मक निर्णय था।
बारात जैसे ही बैलगाड़ियों के काफिले के साथ गांव की गलियों से निकली, चारों ओर उत्सव जैसा माहौल बन गया। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस नज़ारे को देखने उमड़ पड़े। गढ़वा बाजा, ढोल और मांदर की थाप पर बाराती झूमते नज़र आए। बैलगाड़ियों को पारंपरिक तरीके से सजाया गया था, जिसने पूरे गांव में एक अलग ही रौनक भर दी।
ग्रामीणों का कहना था कि इस विवाह समारोह ने उन्हें पुराने जमाने की याद दिला दी, जब शादियां इसी सादगी और सांस्कृतिक रंग में रंगी होती थीं। राह चलते लोग भी बैलगाड़ी में सवार दूल्हे को देखने के लिए रुक गए। इस ऐतिहासिक बारात ने समाज को यह संदेश दिया कि शादी को दिखावे से नहीं, भावनाओं और परंपराओं से खास बनाया जा सकता है।
यह अनोखी बारात अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है और लोग इसे छत्तीसगढ़ की संस्कृति और जड़ों से जुड़ने की एक सुंदर मिसाल मान रहे हैं।