तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में बीते 21 दिनों तक सुरक्षा बलों द्वारा देश का अब तक का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान चलाया गया। यह ऑपरेशन 11 मई को समाप्त हुआ। बुधवार को बीजापुर जिला मुख्यालय में सीआरपीएफ के महानिदेशक जीपी सिंह और छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुण देव गौतम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऑपरेशन की जानकारी दी और उसकी वीडियो डॉक्यूमेंट्री भी साझा की।

450 आईईडी सबसे बड़ी चुनौती

अधिकारियों के अनुसार, इस ऑपरेशन की सबसे कठिन बाधा थी पहाड़ पर बिछाई गई 450 आईईडी। इनमें से केवल 15 ही फटीं, जबकि बाकी को सुरक्षा बलों ने सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया। इस दौरान 18 जवान घायल हुए। जवानों को आधुनिक मेटल डिटेक्टर उपलब्ध कराए गए जिससे आईईडी का पता लगाने में सहायता मिली।

31 नक्सली मारे गए, महिलाओं की संख्या अधिक

अभियान के दौरान 21 अलग-अलग स्थानों पर मुठभेड़ें हुईं, जिनमें 31 नक्सली मारे गए। इनमें 17 महिलाएं और 14 पुरुष शामिल थे। इन सभी पर कुल 1 करोड़ 92 लाख रुपये का इनाम घोषित था। ऑपरेशन में डीआरजी, एसटीएफ और सीआरपीएफ की कोबरा यूनिट ने मिलकर भाग लिया।

नक्सलियों की फैक्ट्री और बंकर ध्वस्त

सुरक्षाबलों ने पहाड़ पर नक्सलियों द्वारा बनाई गई चार हथियार फैक्ट्रियों, एक अस्पताल और 250 से अधिक बंकरों को ध्वस्त किया। नक्सलियों ने पहाड़ी पर दो वर्षों के लिए हथियारों का जखीरा जमा कर रखा था, जिनमें एसएलआर, इंसास, स्नाइपर रायफल, बीजीएल लॉन्चर समेत कई हथियार शामिल थे।

250 गुफाएं और 400 नक्सलियों की मौजूदगी

कर्रेगुट्टा पहाड़ पर 250 से ज्यादा गुफाएं मिली हैं, जो नक्सलियों की छिपने की सबसे सुरक्षित जगह मानी जाती थी। यहां हर समय 300 से 400 नक्सलियों की आवाजाही रहती थी।

पहली बार ऑपरेशन की डॉक्यूमेंट्री बनाई गई

इस ऑपरेशन की एक खास बात यह रही कि पहली बार सुरक्षा बलों ने पूरे अभियान की एक वीडियो डॉक्यूमेंट्री तैयार की, जिसे सार्वजनिक तौर पर दिखाया गया। इसमें नक्सलियों के नेटवर्क, ठिकानों और हथियार निर्माण की विस्तृत जानकारी दी गई है।

यह ऑपरेशन नक्सलवाद के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा और प्रभावशाली कदम माना जा रहा है, जिसने सुरक्षा बलों की रणनीतिक क्षमता और साहस का प्रमाण दिया है।