राजनांदगांव और आसपास के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। पेंड्री स्थित पंडित किशोरी लाल शुक्ल उद्यानिकी कॉलेज एवं अनुसंधान केंद्र के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के तहत गांवों में जाकर महिला स्व-सहायता समूहों को फूलों की खेती और उसके विविध उपयोगों की जानकारी दी।
कॉलेज के अंतिम वर्ष के छात्र कलश वर्मा ने दुर्ग जिले के राज गांधी मितान महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को फूलों की खेती से जुड़ा प्रशिक्षण दिया। इसमें उन्होंने खेती की तकनीक, फूलों से होने वाले आर्थिक लाभ और उनके विभिन्न उत्पादों पर विस्तार से जानकारी दी। जैसे, सूखे फूलों से अगरबत्ती, गुड़हल और अपराजिता से जैम, गुलाब की पंखुड़ियों से गुलकंद और गुड़हल से फेस पैक बनाना सिखाया गया। इस तरह महिलाओं को घरेलू संसाधनों से व्यवसायिक उत्पाद बनाने की दिशा में प्रेरित किया जा रहा है।
इसी क्रम में कॉलेज के एक अन्य छात्र प्रदीप कुमार राजपूत ने राजनांदगांव के किसानों को फसलों की सुरक्षा के लिए ब्लू और येलो स्टिकी ट्रैप के उपयोग की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन ट्रैप्स से फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट जैसे थ्रिप्स, व्हाइट फ्लाई, एफीड, हॉपर और मिलीबग से आसानी से बचाया जा सकता है। ब्लू ट्रैप थ्रिप्स को आकर्षित करता है जबकि येलो ट्रैप अन्य कीटों को। ये ट्रैप्स चिपचिपी सतह के कारण कीटों को फंसा लेते हैं और फसल सुरक्षित रहती है।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और किसानों को आधुनिक कृषि विधियों और प्रसंस्करण तकनीकों से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।