महुए का नाम सुनते ही अब केवल शराब का ख्याल नहीं आता। बस्तर में महुआ अब स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों के रूप में भी उभर रहा है। लड्डू और कैण्डी के बाद अब इससे चाय और काढ़ा तैयार किया जा रहा है, जो न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो रहा है। बस्तर फूड्स नामक संस्था ने महुए की चाय के पांच अलग-अलग फ्लेवर तैयार किए हैं, जिन्हें लंदन सहित कई देशों में खूब पसंद किया जा रहा है।

संस्था का दावा है कि इन फ्लेवर वाली चाय के सेवन से खून की कमी, थाइरॉइड समस्याएं और शरीर के दर्द जैसी समस्याएं दूर होती हैं। लंदन में इस चाय की यूनिट शुरू हो चुकी है, जिसके लिए बस्तर से 50 टन महुआ भेजा गया है। वहीं, भारत में भी 20 टन महुए से चाय का उत्पादन किया जा रहा है। इस चाय की मांग भारत के प्रमुख शहरों के साथ-साथ अमेरिका, यूके और यूएई जैसे देशों में भी बढ़ रही है।

पंच तत्वों से प्रेरित फ्लेवर

मानव शरीर के पांच तत्वों — पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश — के आधार पर महुए की चाय के पांच फ्लेवर विकसित किए गए हैं। प्रत्येक फ्लेवर के अपने स्वास्थ्य लाभ हैं और इन्हें आयुर्वेद के सिद्धांतों पर तैयार किया गया है। चाय बनाने की एक यूनिट अब हैदराबाद में भी शुरू की गई है।

महुआ की चाय: एक प्राकृतिक डिटॉक्स

संस्था की संस्थापक रजिया शेख के अनुसार, सूखे महुए के फूलों को अदरक, तुलसी, और शहद या गुड़ के साथ उबालकर तैयार की गई यह चाय न केवल ऊर्जा देती है, बल्कि शरीर को डिटॉक्स भी करती है। यह पाचन सुधारने, थकान दूर करने और शरीर को मजबूत बनाने में मदद करती है।

ठंडे देशों में भी बनी पसंदीदा

महुए की यह चाय खासतौर पर ठंडे इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए फायदेमंद मानी जा रही है, क्योंकि यह शरीर को गर्म रखती है और इम्युनिटी को मजबूत करती है। इसकी आयुर्वेदिक खूबियों के कारण इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सराहा जा रहा है।

रोजगार का साधन बना महुआ

वन विभाग द्वारा जंगलों में नेट लगाकर उच्च गुणवत्ता वाला महुआ एकत्रित किया जा रहा है। इसके साथ ही स्थानीय युवाओं को इसके प्रसंस्करण और उत्पाद निर्माण का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, जिससे उन्हें रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं। देश-विदेश में इस चाय की बढ़ती मांग से बस्तर के महुए को नई पहचान मिल रही है।