दुर्ग जिले के लगभग 150 शिक्षकों ने छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी युक्तियुक्तकरण आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 28 अप्रैल को जारी इस आदेश के बाद शिक्षकों का आरोप है कि स्थानांतरण की प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी कर मनमानी की गई, जिससे कई शिक्षकों को बिना किसी स्पष्ट आधार के अतिशेष घोषित कर अन्य विद्यालयों में भेज दिया गया।
वरिष्ठता और विशेष परिस्थितियों की अनदेखी
शिक्षकों का कहना है कि स्थानांतरण प्रक्रिया में न उनकी वरिष्ठता को महत्व दिया गया और न ही गंभीर बीमारियों या दिव्यांगता जैसी विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखा गया। कई प्रधान पाठकों को प्रशासनिक पद से हटाकर सामान्य शिक्षकों की तरह गिनती में शामिल कर दिया गया, जिससे विद्यालयों में शिक्षक संख्या अधिक दिखाकर उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया।
प्रक्रिया को दी गई कानूनी चुनौती
इस पूरी प्रक्रिया से आहत शिक्षकों ने एकजुट होकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनका तर्क है कि युक्तियुक्तकरण का यह आदेश न केवल नियमों के विरुद्ध है, बल्कि इससे उनकी सेवाओं और भविष्य पर भी संकट खड़ा हो गया है।
राज्यभर के शिक्षक हुए शामिल
इस आंदोलन में दुर्ग के अलावा राजनांदगांव, बिलासपुर, सूरजपुर और सारंगढ़ जिलों के शिक्षक भी शामिल हैं। याचिका दाखिल करने वालों में वरिष्ठ प्रधान पाठक और शिक्षक जैसे हरीश देवांगन, कमल वैष्णव, लता देवांगन, अनुपम अग्रवाल, रुस्तम सिंह, जितेंद्र तोमर, किशोर दिल्लीवार, राहुल सोनटेके, देवकीनंदन शर्मा, संजय चंद्राकर और केपी देवांगन प्रमुख रूप से शामिल हैं।
शिक्षकों की मांग है कि युक्तियुक्तकरण की इस प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए और सभी मामलों की निष्पक्ष जांच कर शिक्षकों के हित में निर्णय लिया जाए।