पहली बार मां बनी साक्षी निषाद की जिंदगी अपनी नवजात बच्ची का नाम रखने से पहले ही खत्म हो गई। इस दर्दनाक घटना ने न केवल एक परिवार को गहरा सदमा दिया है, बल्कि छत्तीसगढ़ की चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।
बिरगांव की रहने वाली साक्षी ने 9 जून को दोपहर करीब 2 बजे एक बच्ची को जन्म दिया। घर में नई ज़िंदगी के आगमन से खुशी की लहर दौड़ गई थी। लेकिन उसी रात खुशियों का यह माहौल मातम में बदल गया।
करीब रात 2 बजे साक्षी को तेज पेट दर्द शुरू हुआ। परिवार वालों ने तुरंत अस्पताल के कर्मचारियों को सूचित किया। नर्स ने आकर एक इंजेक्शन लगाया और बिना ज्यादा ध्यान दिए वापस लौट गई। दर्द कम नहीं हुआ और जब परिजनों ने दोबारा मदद मांगी तो उन्हें झिड़क दिया गया कि “बार-बार परेशान मत करो”, और स्टाफ ने दरवाजा बंद कर लिया।
साक्षी की हालत लगातार बिगड़ती गई। शरीर अकड़ गया और वह बेहोश हो गई। तब जाकर गंभीर स्थिति में उसे बिरगांव शहरी स्वास्थ्य केंद्र से रायपुर के मेकाहारा अस्पताल रेफर किया गया। परिजनों के मुताबिक, उस वक्त स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी डॉक्टर अंजना ड्यूटी पर मौजूद नहीं थीं।
साक्षी को किसी तरह मेकाहारा ले जाया गया, लेकिन वहां पहुंचने तक काफी देर हो चुकी थी और उसे बचाया नहीं जा सका।
परिजन बोले – “लापरवाही से गई जान, अब तक कोई जिम्मेदार नहीं”
मृतका के पति दीपक निषाद और अन्य परिजनों का कहना है कि अस्पताल की घोर लापरवाही साक्षी की मौत का कारण बनी। उन्होंने बताया कि अब तक केवल सांत्वना और आश्वासन मिल रहे हैं, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
CMHO डॉ. मितलेश चौधरी ने तीन दिन के भीतर जांच कर आवश्यक कदम उठाने का भरोसा दिलाया था, लेकिन पांच दिन बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस है।
सिस्टम की विफलता की एक और मिसाल
यह मामला छत्तीसगढ़ में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का अकेला उदाहरण नहीं है। आए दिन सरकारी अस्पतालों से इस तरह की लापरवाही की खबरें आती रहती हैं, जिससे आम जनता का भरोसा डगमगा चुका है।उठते हैं अहम सवाल:
ड्यूटी पर तैनात नर्स बॉय पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
जब मरीज की हालत बिगड़ रही थी, तो तुरंत प्राथमिक इलाज क्यों नहीं किया गया?
क्या अस्पताल कर्मियों की कोई जवाबदेही नहीं है?
कब तक लापरवाही से मौतें होती रहेंगी और सरकार आश्वासन देती रहेगी?
छत्तीसगढ़ सरकार को इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए दोषियों के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यह सिर्फ एक महिला की मौत नहीं, बल्कि एक नाकाम स्वास्थ्य तंत्र का खौफनाक उदाहरण है।