रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा राशन वितरण के लिए ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) अनिवार्य करने का निर्णय ग्रामीणों और शहरी गरीबों के लिए बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है। नेटवर्क की समस्या और तकनीकी बाधाओं के चलते लोगों को हफ्तों तक राशन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
ग्रामीण अंचलों में मोबाइल नेटवर्क की स्थिति बेहद खराब है। कई इलाकों में घंटों तक नेटवर्क गायब रहता है, जिससे ओटीपी समय पर नहीं पहुंच पाता। इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है जो पूरी तरह से सरकारी राशन पर निर्भर हैं।
दिनभर राशन दुकानों के बाहर इंतजार
ग्रामीणों का कहना है कि वे झोला लेकर सुबह से शाम तक राशन दुकानों के बाहर बैठे रहते हैं, लेकिन ओटीपी न आने के कारण उन्हें राशन नहीं मिल पाता। कुछ लोगों को चार-चार दिन बाद नंबर आया, तब जाकर अनाज मिल पाया।
दुकानदारों का भी कहना है कि पहले फिंगरप्रिंट सिस्टम से रोज़ 30 से 40 लोगों को आसानी से राशन मिल जाता था, लेकिन अब मुश्किल से 4-5 उपभोक्ताओं को ही रोज राशन मिल पा रहा है।
फिंगरप्रिंट सिस्टम को फिर से शुरू करने की मांग
लोगों की मांग है कि सरकार पुराने फिंगरप्रिंट सिस्टम को पुनः लागू करे या फिर ओटीपी के साथ-साथ फिंगरप्रिंट को भी वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में मान्यता दे। इससे अधिक उपभोक्ताओं को समय पर राशन मिल सकेगा और कोई भूखा नहीं रहेगा।
8 महीने से नहीं मिला मिट्टी तेल
एक अन्य गंभीर समस्या यह भी है कि पिछले आठ महीनों से राशन दुकानों पर केरोसिन (मिट्टी तेल) की आपूर्ति पूरी तरह से बंद है। गांवों में अभी भी बड़ी संख्या में लोग मिट्टी तेल पर निर्भर हैं। ऐसे में शासन को इस दिशा में भी तत्काल पहल करनी चाहिए।
जनता की अपील
ग्रामीणों और राशन दुकानदारों ने सरकार से गुहार लगाई है कि ओटीपी आधारित सिस्टम को फिर से विचाराधीन लिया जाए और ऐसी व्यवस्था लागू की जाए जो तकनीकी रूप से सभी के लिए सुगम और व्यावहारिक हो।