छत्तीसगढ़ में 16 जून से नया शैक्षणिक सत्र आरंभ होने जा रहा है, लेकिन इससे पहले ही राज्य का स्कूल शिक्षा विभाग युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को लेकर विवादों में घिरा हुआ है। शिक्षकों की नाराजगी और कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के कारण इस बार शाला प्रवेशोत्सव पहले की तरह उत्साहपूर्ण नहीं, बल्कि विरोध और असंतोष के बीच मनाया जाएगा।
शिक्षकों का विरोध, शिक्षा विभाग की गाइडलाइन सवालों के घेरे में
शिक्षा विभाग ने मई महीने में शाला प्रवेशोत्सव के आयोजन को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने, नाम-पंजी संधारण और स्वागत की तैयारियों की बात कही गई थी। लेकिन युक्तियुक्तकरण के विरोध में जुटे शिक्षकों का ध्यान अब इन तैयारियों से हट गया है। कई जिलों में वरिष्ठ अधिकारी भी इसी प्रक्रिया में व्यस्त हैं, जिससे छात्रों के स्वागत की योजनाएं प्रभावित होती दिख रही हैं।
युक्तियुक्तकरण को लेकर कांग्रेस का मोर्चा
कांग्रेस पार्टी ने इस प्रक्रिया को ‘रोजगार छीनने वाली नीति’ करार देते हुए इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के नेताओं ने पत्रकार वार्ता कर युक्तियुक्तकरण की विसंगतियों को उजागर किया और अब चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की है।
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पहला चरण: 9 से 11 जून तक बीईओ कार्यालयों का घेराव
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दूसरा चरण: 16 से 25 जून तक ‘शिक्षा न्याय यात्रा’ निकालकर डीईओ कार्यालयों की घेराबंदी
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तीसरा चरण: 1 से 10 जुलाई के बीच बंद स्कूलों में पालकों और जनप्रतिनिधियों के साथ विरोध प्रदर्शन
तबादला नीति से भी शिक्षक नाराज
2022 के बाद से लंबित तबादला नीति की घोषणा के बावजूद शिक्षकों को इससे बाहर रखा गया है, जिससे उनका असंतोष और अधिक बढ़ गया है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
शिक्षक संगठन करेंगे प्रवेशोत्सव का विरोध
राज्य के कई शिक्षक संगठनों ने मिलकर युक्तियुक्तकरण की अनियमितताओं और जबरन बदलावों के खिलाफ एकजुट होकर 16 जून से शाला प्रवेशोत्सव का विरोध करने की घोषणा की है। इस विरोध का असर स्कूलों में बच्चों के स्वागत पर सीधा दिख सकता है।
हर वर्ष जिस उत्साह के साथ बच्चों का तिलक लगाकर स्वागत किया जाता है, इस बार वह परंपरा संभवतः सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएगी। शिक्षा विभाग के लिए यह स्थिति एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।