मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर छत्तीसगढ़ की बहुप्रतीक्षित दो बड़ी परियोजनाओं को शीघ्र स्वीकृति दिलाने की मांग की। इन दोनों योजनाओं की कुल लागत करीब 49 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है। इसमें बस्तर अंचल में प्रस्तावित बोधघाट बहुउद्देशीय बांध परियोजना और इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना शामिल हैं।
सीएम साय ने कहा कि बस्तर लंबे समय से नक्सल प्रभावित रहा है, जिसके चलते सिंचाई एवं आधारभूत ढांचे के विकास में यह क्षेत्र काफी पिछड़ गया है। ऐसे में इन परियोजनाओं का शुरू होना न केवल बस्तर के लिए आर्थिक संजीवनी साबित होगा, बल्कि इससे क्षेत्र का समग्र विकास भी सुनिश्चित होगा।
बोधघाट परियोजना: 45 साल से लंबित सपना
बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना की आधारशिला 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने रखी थी, लेकिन अब तक यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई।
मुख्य बिंदु:
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लागत: लगभग ₹29,000 करोड़
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विद्युत उत्पादन: 125 मेगावाट
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मत्स्य उत्पादन: 4,824 टन प्रतिवर्ष
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सिंचाई सुविधा: 3.78 लाख हेक्टेयर
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पेयजल आपूर्ति: 49 मिलियन क्यूबिक मीटर
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लाभार्थी गांव: 269
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संभावित डुबान क्षेत्र: 36 गांव
यह परियोजना दंतेवाड़ा के गीदम ब्लॉक के बारसूर गांव के पास प्रस्तावित है, जो जगदलपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर है। इन्द्रावती नदी पर आधारित यह योजना न केवल सिंचाई बल्कि बिजली, मत्स्य पालन और पेयजल आपूर्ति के क्षेत्र में भी बड़ी भूमिका निभाएगी।
इंद्रावती-महानदी लिंक परियोजना: कांकेर को मिलेगा बड़ा लाभ
दूसरी बड़ी योजना है इंद्रावती और महानदी को जोड़ने वाली इंटरलिंकिंग परियोजना, जिसकी अनुमानित लागत ₹20,000 करोड़ है।
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सिंचाई सुविधा: 3 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में
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प्रमुख लाभार्थी: कांकेर जिला और आस-पास के क्षेत्र
इस योजना से बस्तर संभाग के कृषि विकास को गति मिलेगी और पानी की स्थायी उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
केंद्र से मिली हरी झंडी, डीपीआर पर काम जारी
सीएम साय ने जानकारी दी कि बोधघाट परियोजना की हाइड्रोलॉजी रिपोर्ट को केंद्र सरकार पहले ही स्वीकृति दे चुकी है। केंद्रीय एजेंसियों ने सर्वे कर रिपोर्ट सौंप दी है और अब विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है।
पर्यावरण और नक्सल चुनौती
इन परियोजनाओं पर पहले पर्यावरणीय चिंताओं के कारण आपत्तियां दर्ज की गई थीं। साथ ही नक्सलवाद के चलते निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। लेकिन अब राज्य सरकार का मानना है कि सुरक्षा व्यवस्था में सुधार के बाद परियोजनाएं संभव हो सकेंगी।