रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के 15वें स्थापना दिवस के मौके पर ‘सार्थक एवं रक्षक अभियान’ की शुरुआत की। राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बाल अधिकारों को लेकर जनजागरूकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आयोग की पहल से प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में बच्चों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बच्चों में अधिकारों की समझ विकसित करना समाज को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। बस्तर और सरगुजा जैसे पिछड़े अंचलों में आज भी बच्चे कम उम्र में काम की तलाश में घर छोड़ देते हैं और कई बार शोषण का शिकार हो जाते हैं। ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें शिक्षा और रोजगार से जोड़ने की जिम्मेदारी आयोग की है।

उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों और युवाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। शिक्षा के क्षेत्र में प्रयास आवासीय विद्यालय, नालंदा परिसर, दिल्ली का ट्राइबल यूथ हॉस्टल जैसे कदम युवाओं को बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर कर रहे हैं। गांव-गांव में स्कूल, कॉलेज और कोचिंग सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।

आयोग की अध्यक्ष वर्णिका शर्मा ने अपने संबोधन में आयोग द्वारा किए जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ‘सार्थक’ अभियान के माध्यम से आमजन को बाल अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा, जबकि ‘रक्षक’ अभियान का उद्देश्य विश्वविद्यालयों में बाल संरक्षण कानूनों की जानकारी देना है।

इस मौके पर बाल अधिकारों के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पुलिस कर्मियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और छात्राओं को सम्मानित किया गया। साथ ही आयोग की नई मार्गदर्शिका बुकलेट, ‘रक्षक’ बुकलेट, और ‘गुड टच-बैड टच’, मानव तस्करी व शिक्षा के अधिकार पर आधारित चित्र पुस्तकों का विमोचन किया गया।

समारोह में विधायक सुनील सोनी, पुरंदर मिश्रा, गुरु खुशवंत साहेब, नागरिक आपूर्ति निगम अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव, वक्फ बोर्ड अध्यक्ष डॉ. सलीम राज समेत कई जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।