छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित अपोलो अस्पताल में एक बार फिर लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। कोरबा निवासी रिटायर्ड एसईसीएल कर्मचारी वेदराम पटेल, जिनका इलाज किडनी की समस्या को लेकर चल रहा था, की तबीयत इलाज के दौरान और भी बिगड़ गई। परिजनों ने अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि डायलिसिस के बाद सुधार होने के बावजूद एक छोटी प्रक्रिया के दौरान उन्हें दवाओं का ओवरडोज दिया गया, जिससे उनकी स्थिति गंभीर हो गई।

डायलिसिस के बाद सुधार, फिर बिगड़ गई तबीयत

वेदाराम पटेल को 31 मई को तबीयत खराब होने पर अपोलो अस्पताल लाया गया था। यहां जांच में किडनी से जुड़ी समस्या पाई गई और डॉक्टरों ने डायलिसिस शुरू किया। पहले कुछ दिनों में इलाज के अच्छे परिणाम देखने को मिले और मरीज की हालत में सुधार हुआ।

लेकिन 4 जून को उनके हाथ में सूजन (स्थूला) आ जाने के बाद, इलाज के दौरान उन्हें नींद की दवा और एनेस्थीसिया का डोज दिया गया। परिजनों का दावा है कि इसी दौरान उन्हें नींद की दवा का ओवरडोज दे दिया गया, जिससे उनकी हालत बिगड़ती चली गई।

डॉक्टरों पर लापरवाही और जानकारी छिपाने का आरोप

परिजनों का आरोप है कि जब मरीज की हालत बिगड़ने लगी तो अस्पताल प्रबंधन ने मामला दबाने की कोशिश की। मरीज के बेटे राजकुमार ने बताया कि उन्होंने किडनी स्पेशलिस्ट डॉक्टर विनय कुमार से संपर्क किया, लेकिन डॉक्टर ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मरीज की हालत स्थिर है और उन्हें डिस्चार्ज किया जा रहा है।

परिजन ने की सीएमएचओ से शिकायत

मरीज की बिगड़ती हालत को देखते हुए परिजन उन्हें दूसरे अस्पताल में ले गए। साथ ही, उन्होंने जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) से अपोलो अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

सीएमएचओ डॉ. सुरेश तिवारी ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मरीज के परिजन द्वारा लापरवाही और ओवरडोज देने की शिकायत मिली है। मामले की जांच करवाई जाएगी और जांच के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।