रायपुर– लाभांडी स्थित एग्रीकल्चर कॉलेज परिसर में चल रहे मेंगो फेस्टिवल में आमों की मिठास के साथ उनके अनोखे नामों ने भी लोगों को खूब आकर्षित किया। इस फेस्ट में बस्तर से आए रामकुमार देवांगन ने 120 पारंपरिक प्रजातियों के आमों का अनूठा संग्रह प्रस्तुत कर दर्शकों का ध्यान खींचा। हालांकि, ‘हूर पाकिस्तानी’ नामक एक किस्म पर कुछ लोगों ने आपत्ति भी जताई।
जगदलपुर के हॉर्टीकल्चर कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर रामकुमार ने बताया कि उन्होंने यह संग्रह अपनी पीएचडी के दौरान बस्तर, नारायणपुर, सुकमा और कोंडागांव जैसे आदिवासी क्षेत्रों से इकट्ठा किया। उन्होंने बताया कि बस्तर का यह जर्मप्लाज्म (बीज-संपदा) देश के लिए वरदान बन सकता है, क्योंकि इन किस्मों में स्वाद, रंग, बनावट और टीएसएस (कुल घुलनशील ठोस पदार्थ) की गुणवत्ता असाधारण है। वे चाहते हैं कि इन देसी किस्मों को राष्ट्रीय पहचान मिले।
इस आयोजन में करीब 200 किस्मों के आम शामिल किए गए, जिनमें सेव पल्ली, महागजा, भैंसमुड़ी और स्वर्ण जांजगीर जैसी प्रजातियों ने लोगों को खूब लुभाया।
मियाजाकी बना शो स्टॉपर
इस आयोजन में भिलाई-चरोदा से आए एक आम प्रेमी ने जापानी नस्ल के मियाजाकी आम को प्रदर्शित किया, जिसकी कीमत 2.5 से 3 लाख रुपये प्रति किलो तक बताई गई। इसके अलावा ‘हाथीजुड़’ नामक देसी किस्म भी आकर्षण का केंद्र रही, जिसका वजन ढाई किलो था और आकार हाथी की सूंड जैसा था।
यह फेस्ट देसी स्वाद, जैव विविधता और अनुसंधान की ताकत को सामने लाने का एक बेहतरीन उदाहरण बन गया, जिसमें पारंपरिक विरासत और आधुनिकता का अनूठा संगम देखने को मिला।