मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में 18 जून 2025 को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कर विभिन्न प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। बैठक मानसून सत्र से पहले आयोजित की गई थी और इसका आयोजन मुख्यमंत्री निवास में सुबह 10 बजे हुआ।

बैठक में अनुसूचित जाति और जनजाति की सूची में तकनीकी कारणों से वंचित कुछ जातियों के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, शिष्यवृत्ति और छात्रावास की सुविधा देने की सहमति दी गई। इनमें डिहारी कोरवा, बघेल क्षत्री, संसारी उरांव, पबिया, पविया, पवीया को अनुसूचित जनजाति के समतुल्य और डोमरा जाति को अनुसूचित जाति के समकक्ष सुविधाएं मिलेंगी।

इसके अलावा “प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना” के अंतर्गत घरों की छत पर सोलर रूफटॉप प्लांट लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त अनुदान दिए जाने का निर्णय हुआ है। इस योजना के तहत 2025-26 में 60,000 और 2026-27 में 70,000 सोलर पावर प्लांट लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। 1 किलोवाट से 3 किलोवाट तक के प्लांट्स के लिए राज्य और केंद्र सरकार की ओर से सम्मिलित वित्तीय सहायता दी जाएगी।

वन्यजीवों और विशेषकर बाघों के संरक्षण हेतु “छत्तीसगढ़ टाइगर फाउंडेशन सोसायटी” के गठन की स्वीकृति दी गई। यह सोसायटी स्व-वित्तपोषित होगी और ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय समुदाय को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगी।

बैठक में नारायणपुर की अशासकीय संस्था “विश्वास” को रामकृष्ण मिशन आश्रम में मर्ज करने, बेमेतरा जिले में उद्यानिकी महाविद्यालय की स्थापना के लिए भूमि आवंटन और जशपुर की महिलाओं द्वारा तैयार पारंपरिक उत्पादों के ‘JashPure’ ब्रांड को राज्य सरकार अथवा CSIDC को हस्तांतरित करने की अनुमति दी गई।

अनुकम्पा नियुक्ति नीति में संशोधन करते हुए यह निर्णय लिया गया कि नक्सली हिंसा में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिजनों को अब किसी भी विभाग या जिले में नियुक्ति दी जा सकेगी, जबकि पहले उन्हें केवल उसी विभाग या कार्यालय में नियुक्ति मिलती थी, जहां मृतक कार्यरत था।

साथ ही राज्य में गौण खनिजों के सुव्यवस्थित दोहन और पूर्वेक्षण हेतु “स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट” के गठन को मंजूरी दी गई। इस ट्रस्ट के माध्यम से गौण खनिजों से प्राप्त रॉयल्टी का 2% हिस्सा अनुसंधान, अधोसंरचना और मानव संसाधन विकास में इस्तेमाल किया जाएगा।

कुल मिलाकर यह बैठक राज्य की सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय संरचना को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रही।