जिले में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद 17 जून, सोमवार से नए शिक्षा सत्र की शुरुआत हो रही है, लेकिन इस बार स्कूल खुलते ही एक बड़ी समस्या सामने आ गई है। जिले के सभी 1350 स्कूल सफाई कर्मचारी 16 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं, जिससे स्कूलों की सफाई व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है। ऐसे में बच्चों को पहले ही दिन गंदगी में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ सकती है, या फिर वे खुद ही झाड़ू उठाकर स्कूल साफ करते नजर आएंगे।
शिक्षा विभाग की वैकल्पिक व्यवस्था नदारद
स्कूलों में साफ-सफाई को लेकर पहले से ही कोई तैयारी नहीं की गई थी और अब जब सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं, तब भी शिक्षा विभाग ने किसी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है। स्कूल लंबे अवकाश के बाद खुल रहे हैं और ऐसे में कक्षाएं धूल-मिट्टी और गंदगी से भरी पड़ी हैं। कई स्कूलों में रंग-रोगन तक नहीं हुआ है।
ये हैं कर्मचारियों की मांगें
स्कूल सफाई कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष राकेश कलिहारी ने बताया कि उनकी वर्षों से चली आ रही मांगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। वे चाहते हैं कि अंशकालीन सफाई कर्मियों को पूर्णकालिक किया जाए, कलेक्टर दर पर वेतन दिया जाए और युक्तियुक्तकरण के चलते मर्ज हुए स्कूलों में कर्मचारियों को समायोजित किया जाए।
संघ का कहना है कि इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी क्योंकि अब सिर्फ आश्वासन नहीं, अधिकार चाहिए।
354 स्कूलों का हुआ है मर्जर, लेकिन समायोजन अधर में
जिले में हाल ही में 354 स्कूलों को युक्तियुक्तकरण योजना के तहत मर्ज किया गया है, जिससे कई सफाई कर्मचारी प्रभावित हुए हैं। लेकिन प्रशासन की ओर से उनके समायोजन को लेकर अब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है।
पहले ही दिन गंदगी के बीच बैठेेंगे छात्र
साफ है कि यदि जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो स्कूल खुलने के दिन बच्चों को गंदगी के बीच बैठना होगा। यह न सिर्फ छात्रों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि स्कूल के प्रवेश उत्सव जैसे महत्वपूर्ण दिन की गरिमा भी धूमिल हो रही है।
अब सवाल ये है कि शिक्षा व्यवस्था और जिम्मेदार अधिकारी इस संकट का समाधान कब और कैसे निकालेंगे?