अबुझमाड़। माओवादी संगठन CPI (माओवादी) ने 10 जून 2025 को पूरे देश में भारत बंद का आह्वान किया है। यह ऐलान मुठभेड़ में मारे गए शीर्ष माओवादी नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू समेत 27 नक्सलियों की मौत के विरोध में किया गया है। माओवादी केंद्रीय समिति के प्रवक्ता ‘अभय’ ने इस बंद की घोषणा करते हुए सरकार पर दमनात्मक कार्रवाई का आरोप लगाया है।
बसवराजू की मौत के विरोध में माओवादी नाराज़
माओवादियों के अनुसार 21 मई को छत्तीसगढ़ के अबुझमाड़ जंगलों में सुरक्षा बलों से हुई मुठभेड़ में उनके महासचिव बसवराजू समेत 27 नक्सली मारे गए। प्रवक्ता अभय ने कहा कि बसवराजू संगठन के लिए रणनीति तैयार करने वाला अहम नेता था और उसकी हत्या एक ‘पूर्व नियोजित साजिश’ के तहत की गई। माओवादियों ने इसे गृह मंत्रालय की योजना बताया है।
शांति वार्ता का आरोप-प्रत्यारोप
माओवादी प्रवक्ता ने बताया कि मार्च 2025 में केंद्र सरकार ने हैदराबाद में न्यायमूर्ति चंद्रकुमार की अध्यक्षता में शांति वार्ता समिति बनाई थी। संगठन ने वार्ता के समर्थन में संघर्ष विराम की घोषणा की, लेकिन इसके बावजूद सुरक्षाबलों की कार्रवाई जारी रही। माओवादियों के अनुसार संघर्ष विराम के दौरान 85 कार्यकर्ता मारे गए जिससे सरकार पर से उनका भरोसा उठ गया।
11 जून से 3 अगस्त तक श्रद्धांजलि सभाएं
भारत बंद के अगले दिन से 3 अगस्त तक माओवादियों ने स्मृति समारोह और जागरूकता कार्यक्रम चलाने की योजना बनाई है। इस दौरान उन माओवादियों को याद किया जाएगा जो इस सैन्य अभियान में मारे गए।
सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर
भारत बंद की घोषणा के बाद नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को सतर्क कर दिया गया है। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
माओवादी नेता की पृष्ठभूमि
नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू करीब 70 साल का था और आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले का रहने वाला था। नवंबर 2018 से वह माओवादी संगठन का महासचिव था। उस पर लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का इनाम था और वह छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना व महाराष्ट्र में सक्रिय था। बताया जाता है कि वह हमेशा AK-47 लेकर चलता था।
प्रशासन का जवाब
महाराष्ट्र के नक्सल विरोधी अभियान प्रमुख संदीप पाटिल ने माओवादियों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये बयान उनके नेता की मौत से उपजे गुस्से का परिणाम हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल शांति बहाल करना है और सुरक्षा बलों की कार्रवाई उसी दिशा में है।