रायपुर (बिरगांव)। राजधानी से लगे बिरगांव क्षेत्र में संचालित मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत बेहद चिंताजनक है। इन केंद्रों में न तो शौचालय की सुविधा है, न ही बच्चों के लिए पर्याप्त जगह। हालात ऐसे हैं कि बच्चे खुले में शौच जाने को मजबूर हैं, जिससे उनकी सेहत और साफ-सफाई पर गंभीर असर पड़ रहा है।

मानकों को दरकिनार कर चल रहे हैं केंद्र

सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार, एक मिनी आंगनबाड़ी केंद्र का न्यूनतम क्षेत्रफल 300 वर्गमीटर होना चाहिए, जिसमें शौचालय, खेल का मैदान और पढ़ाई की पर्याप्त जगह शामिल हो। लेकिन बिरगांव के कई वार्डों में यह केंद्र मात्र 150 से 200 वर्गफुट की छोटी-सी जगह में संचालित हो रहे हैं।

गर्भवती महिलाएं और बच्चे दोनों प्रभावित

हर वार्ड में 3 से 4 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र मौजूद हैं। प्रत्येक केंद्र में औसतन 40 से 50 छोटे बच्चे और 8 से 14 गर्भवती महिलाएं नियमित रूप से आती हैं। लेकिन अव्यवस्थित भवन और बुनियादी सुविधाओं की कमी इनके स्वास्थ्य और विकास में बाधा बन रही है।

मायूसी भरी हकीकत – जमीनी रिपोर्ट

वार्ड 35, आचोली – केंद्र 1:

कुल 22 बच्चों और 8 गर्भवती महिलाओं के लिए केवल 150 वर्गफुट जगह है। न शौचालय है और न खेलने की व्यवस्था।

वार्ड 35, आचोली – केंद्र 2:

70 पंजीकृत बच्चों में से लगभग 30 बच्चे रोज आते हैं। यहां भी क्षेत्रफल मात्र 150 वर्गफुट है और शौचालय नदारद है।

वार्ड 30, केंद्र 25:

यहां 60 बच्चे और 14 गर्भवती महिलाएं पंजीकृत हैं। बच्चों को खेलने और पढ़ाई दोनों के लिए एक ही तंग कमरा उपलब्ध है और शौचालय की सुविधा नहीं है।

पोषण बेहतर, लेकिन बाकी व्यवस्थाएं कमजोर

इन केंद्रों में पोषण कार्यक्रम के तहत Ready-to-Eat नाश्ता और पौष्टिक दोपहर का भोजन जरूर दिया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं को भी पोषक आहार दिया जा रहा है। लेकिन जिस छोटी सी जगह में यह सब किया जा रहा है, वहां सफाई और स्वास्थ्य सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है।

स्थानीय लोगों की मांग – हो तुरंत कार्रवाई

बिरगांव के नागरिकों और अभिभावकों ने प्रशासन से अपील की है कि वे जल्द से जल्द इन केंद्रों का निरीक्षण कर सुविधाएं सुधारें। बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए एक सुरक्षित, स्वच्छ और पर्याप्त स्थान जरूरी है।

यह समस्या केवल बच्चों की शिक्षा या पोषण की नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की गरिमा और स्वास्थ्य से भी सीधा जुड़ा हुआ मुद्दा है। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा है कि वे इसे प्राथमिकता देते हुए ठोस कदम उठाएं।